‘‘जब पानी में आग लगी थी’’ प्रस्तावना ‘क्या पानी में आग लग सकती है ?’’ किसी भी संतुलित मस्तिष्क व्यक्ति के लिए यह सवाल विचित्र मालूम पड़ सकता है। अलबत्ता सामाजिक-राजनीतिक आंदोलनों पर निगाह रखनेवाला व्यक्ति बता सकता है कि जब लोग सदियों से जकड़ी गुलामी की बेड़ियों को तोड़ कर आगे बढ़ते हैं तो … Continue reading महाड़ सत्याग्रह के नब्बे साल
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