Guest Post by Ravi Sinha किसानों के इस आन्दोलन को उसके तात्कालिक उद्देश्यों और सम्भावनाओं मात्र के सन्दर्भ में देखें तो भी यह ऐतिहासिक है. अपनी अंतिम और सम्भावित सफलता से स्वतन्त्र इसकी उपलब्धियाँ अभी ही ऐतिहासिक महत्त्व की साबित हो चुकी हैं. लेकिन इस आन्दोलन के अर्थ और इसकी सम्भावनायें और भी बड़ी हैं. भारत की दुर्दशा के इस घोर अँधेरे में, जहाँ अधिनायकवादी फ़ासिस्ट शक्तियों के ख़िलाफ़ … Continue reading मौजूदा किसान आन्दोलन पर वक्तव्य : रवि सिन्हा →
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