कांकर पाथर जोरि कै मस्जिद लई बनाय. ता चढि मुल्ला बांग दे क्या बहरा हुआ खुदाय क्या अपने ‘खुदा’ को आवाज़ देने के लिए बांग देने की जरूरत पड़ती है ? आज से छह सदी पहले ही कबीर ने यह सवाल पूछ कर अपने वक्त़ में धर्म के नाम पर जारी पाखंड को बेपर्दा किया … Continue reading प्रार्थना स्थलों पर लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध →
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