एक अनोखी रात: मुरीद बरघूती/अनुवाद: आयेशा किदवई
You can see the English translation by Radwa Ashour of the original poem in Arabic by the Palestinian poet Mourid Barghouti , after this translation into Hindustani by AYESHA KIDWAI एक अनोखी रात उसकी उंगली दरवाज़े की घंटी को बस छूनेवाली है दरवाज़ा, बहुत ही आहिस्ता आहिस्ता, खुलता है. वो अंदर आता है.