You can see the English translation of the original poem by the Palestinian poet Mourid Barghouti , after this translation into Hindustani by AYESHA KIDWAI कितनी कला, बारीक़ सोच, हिचकिचाहट, और क़ुरबानी की रातें, कम या ज़्यादा कीमत अदा कर, तुम्हें लगती हैं एक सरल सा आला अविष्कार करने में? एक तानाशाह बनाने में तुम्हें … Continue reading पानी की फ़र्माबरदारी: मुरीद बरघूती /अनुवाद: आयेशा किदवाई →
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