Guest post by V. GEETHA. Translated by RAJENDER SINGH NEGI कोरोना के आने से पहले ही हममें रोगाणुओं को लेकर चिंता का भाव विद्यमान था. ज़रा उन फ़र्श, किचन काउंटर, कपड़ों, इत्यादि रोगाणुओं, दाग़, और तमाम क़िस्म के सूक्ष्म घुसपैठी जंतुओं से निजात दिलाने वाले विज्ञापनों को याद करें, जिनमे इन सभी को पर्याप्त और … Continue reading रोगाणु, दाग़ और हमारा ‘विशुद्ध’ समाज : वी. गीता →
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