यह बिरले होता है कि ख़बरनवीस ख़ुद ख़बर बन जाए।पिछले तीन रोज़ से एक ख़बरची ही ख़बर है: रवीश कुमार। याद आती है कोई 18 साल पहले रवीश से एक मुलाक़ात। “ दिक्कत यह हुई है टेलिविज़न की दुनिया में कि जिसे ख़बर दिखाने का काम है, वह सोच बैठा है कि लोग समाचार नहीं, … Continue reading रवीश कुमार: हिंदुस्तान का दुखता हुआ दिल →
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