बहुसंख्यकवाद

विचार ही अब द्रोह !

(‘चार्वाक के वारिस : समाज, संस्कृति एवं सियासत पर प्रश्नवाचक ‘ की प्रस्तावना से) कार्ल मार्क्‍स की दूसरी जन्मशती दुनिया भर में मनायी जा रही है। दिलचस्प है कि विगत लगभग एक सौ पैंतीस सालों में जबसे उनका इन्तक़ाल हुआ, कई कई बार ऐसे मौके आए जब पूंजीवादी मीडिया में यह ऐलान कर दिया कि … Continue reading विचार ही अब द्रोह ! →