खूब काट-छाँट और गहरी छील-छाल रंदों और बसूलों से मेरी देखभाल

मुक्तिबोध शृंखला की 40वीं और अंतिम कड़ी तकरीबन 20 वर्ष पहले पढ़ी फ्रांसिस व्हीन लिखित कार्ल मार्क्स की जीवनी का अंतिम अंश या उस अंश में चित्रित मार्क्स को भूलना मुश्किल है। यह एक पत्रकार की वृद्ध मार्क्स से मुलाक़ात का वर्णन है। समंदर की लहरें पछाड़ खा रही थीं। पत्रकार ने मार्क्स से पूछना … Continue reading खूब काट-छाँट और गहरी छील-छाल रंदों और बसूलों से मेरी देखभाल →

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