लोकतंत्र

‘अरबन फासिज्म’ की शुरुआत : वैभव सिंह

Guest post by VAIBHAV SINGH रामचरित मानस में सुन्दर कांड में एक पंक्ति आती है, जो कही तो विभीषण के मुंह से गई है लेकिन वह आज के लोकतंत्र पर भी लागू होती है। चौपाई में विभीषण कहते हैं- ‘सुनहु पवनसुत रहनि हमारी। जिमि दसनन्हि महुं जीभ बिचारी।’ यानी विभीषण कहते हैं कि मैं ऐसे … Continue reading ‘अरबन फासिज्म’ की शुरुआत : वैभव सिंह