प्रगतिवाद : मानवता-सिंधु में डूबी व्यक्ति-धारा ?

मुक्तिबोध शृंखला:29  मुक्तिबोध मार्क्सवादी हैं। मार्क्सवादी होने के साथ-साथ प्रगतिवादी भी। क्या मार्क्सवादी दृष्टि ही साहित्य और कला में प्रगतिवाद के नाम से जानी जाती है? क्या कम्युनिस्ट पार्टी के सांस्कृतिक क्षेत्र में प्रभाव विस्तार करने के लिहाज से ही प्रगतिशील आंदोलन का महत्त्व है? क्या प्रगतिवाद और प्रगतिशील आंदोलन या संगठन एक दूसरे में … Continue reading प्रगतिवाद : मानवता-सिंधु में डूबी व्यक्ति-धारा ? →

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