Guest Post by Musharraf Ali क़ुव्वत ऐ फ़िकरो अमल पहले फ़ना होता है फिर किसी क़ौम की शौकत पे ज़वाल आता है (किसी क़ौम के दबदबे या रौब में तब गिरावट आती है, जब उसकी सोचने-विचारने की ताक़त खत्म हो जाती है) 8 जुलाई 2020 को तुर्की के राष्ट्रपति तय्यप इरदुगान ने चर्च से … Continue reading तुर्की – गैर धर्मनिरपेक्ष रास्ते पर : मुशर्रफ अली →
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