मुक्तिबोध के ‘नौजवान का रास्ता’

मुक्तिबोध शृंखला:2 “मैं कुछ शिकायत करना चाहता था इस दुनिया के खिलाफ लेकिन मैं रुक गया, सोचते हुए कि आखिर मैं अपने को दुनिया से अलग क्यों मान लूँ. दुनिया का खाकर, दुनिया का पीकर, दुनिया के मनुष्य से प्रेम कर, उससे अलग समझना अपने स्व को ज़रूरत से अधिक ऊँचा रखना है—दुनिया ने हमको … Continue reading मुक्तिबोध के ‘नौजवान का रास्ता’ →

Tags

Source