मुक्तिबोध शृंखला:27 मार्क्सवादी अर्थशास्त्री प्रभात पटनायक ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की शताब्दी के मौक़े पर उसकी सांसारिक उपलब्धियों को स्वीकार करते हुए भी उसे समाजवादी व्यवस्था मानने से इनकार किया है। उसका कारण उनके मुताबिक़ यह है कि चीन में व्यक्ति अभी भी पार्थक्यविहीन जीवन नहीं जी रहा है। चीन का जन आज भी … Continue reading मार्क्सवाद : वीरान अमानवीय दूरियाँ →
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