मुक्तिबोध शृंखला 6 आलोचना आत्मपरकता से मुक्त दीखना चाहती है. भावना मुक्त. पसंद-नापसंद से परे वस्तुनिष्ठता की खोज. है तो लेकिन वह आखिर देखने की एक क्रिया. देखने का यह व्यापार क्या ‘दर्शक कौन है?’ के प्रश्न को परे कर सकता है? क्या यह देखनेवाले के कद पर निर्भर है? उसका फैसला कौन करेगा? क्या … Continue reading ज्ञान की सरहद को तोड़ना →
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