मुक्तिबोध शृंखला:25 ‘नए की जन्म कुंडली: एक’ में लेखक या वाचक की मुलाकात अपने एक मित्र से 12 वर्ष बाद होती है। ऐसा मित्र जिसे वह बहुत बुद्धिमान समझता था। वह ऐसा व्यक्ति था जो अपने विचारों को अत्यधिक गम्भीरतापूर्वक लेता: “वे उसके लिए धूप और हवा जैसे स्वाभाविक प्राकृतिक तत्त्व थे।…दरअसल, उसके लिए न … Continue reading ईमान का डंडा, बुद्धि का बल्लम, अभय की गेती और हृदय की तगारी! →
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