अँधेरा मेरा ख़ास वतन जब आग पकड़ता है

मुक्तिबोध शृंखला:16 ‘समझौता’ कहानी का अंत इस प्रश्न से होता है कि वह कौन सी अदृश्य शक्ति है जो हमें आपको पालतू भालू बन्दर बनाकर नचाती रहती है। किसके हाथ हमारे गले के पट्टे की चेन है। हमारे ‘मैं’  की हत्या किस तरह कर दी जाती है। किस तरह हमें गुलामी बर्दाश्त करना सिखलाया जाता … Continue reading अँधेरा मेरा ख़ास वतन जब आग पकड़ता है →

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