निरंकुशता के स्रोत, प्रतिरोध के संसाधन : रवि सिन्हा

Guest Post by Ravi Sinha राजनीति का आम सहजबोध यह है कि सत्ता की निरंकुशता लोकतंत्र का निषेध है। लोकतंत्र राजनीतिक सत्ता का गठन तो करता है, लेकिन उसे निरंकुश नहीं होने देता। यदि किसी लोकतांत्रिक व्यवस्था के अंतर्गत निरंकुश सत्ता का उद्भव होता है तो उसे लोकतंत्रा की दुर्बलता, उसके विकार या उसमें किसी बाहरी अलोकतांत्रिक … Continue reading निरंकुशता के स्रोत, प्रतिरोध के संसाधन : रवि सिन्हा →

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