मुक्तिबोध की भाषा : स्निग्धता और शक्ति का मेल

मुक्तिबोध:11 मुक्तिबोध की भाषा : स्निग्धता और शक्ति का मेल मुक्तिबोध ने नेमिचंद्र जैन को लिखे पत्र में एक ध्वस्त किले के मलबे के बीच उगती वन्य वनस्पतियों  के रूप में अपनी कल्पना की थी. ‘हरे वृक्ष’ शीर्षक कविता इस पत्र के आस-पास लिखी गई मालूम पड़ती है : ये हरे वृक्ष सहचर मित्रों-से हैं … Continue reading मुक्तिबोध की भाषा : स्निग्धता और शक्ति का मेल →

Tags

Source