मुक्तिबोध और मार्क्सवाद: एक अधूरा संवाद

मुक्तिबोध शृंखला:28 मुक्तिबोध के मार्क्सवाद और उनके व्यक्तित्व में एक फाँक की शिकायत एक समय तक हिंदी के कुछ मार्क्सवादी आलोचक करते रहे। उसका कारण था उनके अनुसार मुक्तिबोध में निजता या आत्मपरकता का अतिरेक। लेकिन मुक्तिबोध मार्क्सवाद तक आए थे अपनी उस समस्या का समाधान खोजते हुए कि मनुष्य अपना विस्तार कैसे कर सकता … Continue reading मुक्तिबोध और मार्क्सवाद: एक अधूरा संवाद →

Tags

Source