घृणा का दैत्य और स्नेह का शुचि-कान्त मादक देवता

मुक्तिबोध शृंखला:26 पूँजीवाद से मुक्तिबोध की घृणा समझौताविहीन थी। क्या वे उसके कारण कम्युनिस्ट हुए या कम्युनिस्ट होने के कारण पूँजीवाद को उन्होंने अस्वीकार किया? यह प्रसिद्ध है कि नेमिचंद्र जैन ने उन्हें कम्युनिस्ट बनाया। 30 अक्टूबर 1945 के पात्र में वे नेमिजी को लिखते हैं, “याद है, आपकी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। आपने एक … Continue reading घृणा का दैत्य और स्नेह का शुचि-कान्त मादक देवता →

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