पेरियार

‘ईश्वर नहीं है’ कहने का अधिकार

Periyar : Image – Courtesy velivada.com क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार महज आस्थावानों के लिए ही लागू होता है ? कभी कभी साधारण से प्रश्न का उत्तर पाने के लिए भी अदालती हस्तक्षेप की जरूरत पड़ती है। मद्रास उच्च न्यायालय की – न्यायमूर्ति एस मनिकुमार और सुब्रहमण्यम प्रसाद की – द्विसदस्यीय डिवीजन बेंच को … Continue reading ‘ईश्वर नहीं है’ कहने का अधिकार →

हिंदी समाज में हीरा डोम की तलाश – स्मृतिलोप  से हट कर यथार्थ की ओर

( अकार, 51 – हिंदी समाज पर केंद्रित अंक में जल्द ही प्रकाशित) ‘देवताओं, मंदिरों और ऋषियों का यह देश ! इसलिए क्या यहां सबकुछ अमर है ? वर्ण अमर, जाति अमर, अस्पृश्यता अमर ! ..युग के बाद युग आए ! बड़े बड़े चक्रवर्ती आये ! ..दार्शनिक आए ! फिर भी   अस्पृश्यता  , विषमता अमर है !