उस्मान शेख

विचार ही अब द्रोह !

(‘चार्वाक के वारिस : समाज, संस्कृति एवं सियासत पर प्रश्नवाचक ‘ की प्रस्तावना से) कार्ल मार्क्‍स की दूसरी जन्मशती दुनिया भर में मनायी जा रही है। दिलचस्प है कि विगत लगभग एक सौ पैंतीस सालों में जबसे उनका इन्तक़ाल हुआ, कई कई बार ऐसे मौके आए जब पूंजीवादी मीडिया में यह ऐलान कर दिया कि … Continue reading विचार ही अब द्रोह ! →

महाड़ सत्याग्रह के नब्बे साल

‘‘जब पानी में आग लगी थी’’ प्रस्तावना ‘क्या पानी में आग लग सकती है ?’’ किसी भी संतुलित मस्तिष्क व्यक्ति के लिए यह सवाल विचित्र मालूम पड़ सकता है। अलबत्ता सामाजिक-राजनीतिक आंदोलनों पर निगाह रखनेवाला व्यक्ति बता सकता है कि जब लोग सदियों से जकड़ी गुलामी की बेड़ियों को तोड़ कर आगे बढ़ते हैं तो … Continue reading महाड़ सत्याग्रह के नब्बे साल